Sunday, 21 August 2016

मिलाने वाले ही बिछड़ गये -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          यह संसार बहुत विचित्र है।यहाँ नित्य नवीन एवं अद्भुत घटनायें घटती रहती हैं।जो व्यक्ति प्रति वर्ष माघ मेला प्रयाग मे भूले-भटके लोगों को उनके परिवार वालों से मिलाते थे ; वही महापुरुष अब हम लोगों से ही बिछड़ गये।
           यह कोई कल्पित कहानी नहीं ; बल्कि राजा राम तिवारी की जीवनी है।तिवारी जी प्रति वर्ष माघ मेले मे शिविर लगाकर भूले भटके लोगों को उनके परिवार वालों से मिलाने का पुनीत कार्य करते थे।यह कार्य उन्होंने 1946 से आरम्भ किया था।वस्तुतः 1945 मे वे गंगा स्नान करने आये थे ; तभी परेड ग्राउण्ड पर रोती-विलखती एक महिला मिली ; जो भीड़ मे अपने परिवार वालों से बिछड़ गयी थी।तिवारी जी उसे रेलवे स्टेशन पर ले गये।संयोगवश वहाँ उस महिला के परिवार वाले मिल गये और वह प्रसन्नता पूर्वक अपने घर चली गयी।
          इसी समय से उन्हें इस पुनीत कार्य को सम्पन्न करने की सत्प्रेरणा प्राप्त हुई।फिर क्या था ; अगले वर्ष से माघ मेला मे सभी भूले-भटके लोगों को मिलाने के लिए शिविर लगा कर जुट गये।उस समय लाउडस्पीकर एवं माइक की सुविधा नहीं थी।अतः वे टीन का भोंपू बनाकर पुकारते और मिलाते रहते थे।शुरू मे तो अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।बाद मे शासन और समाज के द्वारा भी सहयोग मिलने लगा।बाद मे इस कार्य के लिए भारत सेवा दल नामक एक सशक्त संगठन की स्थापना की और इसी के सहयोग से यह पुनीत कार्य करने लगे।उन्होंने अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक बिछड़ों को अपने परिवार वालों से मिला चुके हैं।
          इस महापुरुष को जन्म देने का सौभाग्य प्रताप गढ़ जनपद के रानीगंज तहसील के " गौरा पूरे बादल " ग्राम को प्राप्त हुआ था।उनका जन्म 10 अगस्त 1928 को हुआ था।उन्होंने 20 अगस्त 2016 को अन्तिम श्वाँस ली।इस पुनीत कार्य के कारण तिवारी जी की बहुत अधिक ख्याति थी।उन्हें इस शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी सम्मानित किया था।उनके पास अनेक ख्यातिलब्ध लोग भी आया करते थे।
         यद्यपि अब तिवारी जी हम लोगों के बीच नहीं हैं किन्तु वे युगों युगों तक युवाओं के प्रेरक बनकर प्रत्येक सत्पुरुष के हृदय मे बसे रहेंगे।
         मै इस महान् आत्मा को भावभीनी  श्रद्धाञजलि अर्पित करता हूँ।

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