हमारे प्राचीन महर्षियों ने मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष पर गम्भीरता पूर्वक विचार किया और उनके दुष्प्रभावों से बचने का उपाय भी बताया है।इन्हीं मे से लक्ष्मीनाशक धूल से भी बचने का निर्देश दिया है।प्रायः देखा जाता है कि पशु जब उठते हैं तब अपने विशिष्ट शारीरिक कम्पन द्वारा शरीर मे लगी हुई धूल को उड़ा देते हैं।वही धूल जब किसी मनुष्य के शरीर पर पड़ जाती है तब वह अनिष्टकारी बन जाती है।इसी प्रकार झाड़ू से उड़ी हुई धूल भी शुभ नहीं होती है।
लिङ्गपुराण 85/153 के अनुसार बकरी ; कुत्ता ; गधा ; ऊँट आदि से उठी हुई धूल जिस मनुष्य के शरीर का स्पर्श करती है ; उसकी लक्ष्मी नष्ट हो जाती है।इसी प्रकार झाड़ू लगाने से उठने वाली धूल भी शरीर का स्पर्श करने पर लक्ष्मीनाशक होती है।अतः इन धूलों से बचने का प्रयास करना चाहिए।
Thursday, 25 August 2016
लक्ष्मीनाशक धूल -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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