किसी भी देवी-देवता की उपासना मे उनके मन्त्र जप के लिए माला की आवश्यकता होती है।यह माला भी विशेष प्रकार की होनी चाहिए।लिङ्गपुराण मे पञ्चाक्षर मन्त्र ( ऊँ नमः शिवाय ) के जप के सन्दर्भ मे माला पर भी गम्भीरता पूर्वक विचार किया गया है।उक्त सन्दर्भ के अनुसार एक-एक करके अँगुली से जप की गणना करने पर सामान्य फल की प्राप्ति होती है।रेखाओं से करने पर आठ गुना फल प्राप्त होता है।पुत्रजीव के फलों की बनी माला से जप करने पर दस गुना फल होता है।शंखमणियों की माला से सौ गुना ; मूगा की माला से सहस्र गुना ; स्फटिक की माला से दस हजार गुना और मोती की माला से जप करने पर लाख गुना फल होता है।कमल के बीज की माला से दस लाख गुना और सोने की माला से जप करने पर करोड़ गुना फल होता है।परन्तु कुश की गाँठ तथा रुद्राक्ष की माला से जप करने पर अनन्त गुना फल की प्राप्ति होती है।
अतः मन्त्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला विशेष उपयुक्त है।यह आसानी से सुलभ भी हो जाती है।इससे किया गया फल भी बहुत अधिक होता है।विशेषकर शिव-मन्त्र के लिए तो रुद्राक्ष ही श्रेयस्कर माना गया है।
Wednesday, 24 August 2016
मन्त्रजप मे माला का महत्त्व -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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