अधिकाँश लोगों को सोते समय स्वप्न दिखाई पड़ता है।उनमे से कुछ स्वप्न तो अच्छे ; मनभावन एवं निकटवर्ती शुभ सूचनादायक होते हैं।परन्तु कुछ स्वप्न बहुत भयानक एवं अनिष्ट द्योतक भी होते हैं।इन्हीं अनिष्टद्योतक स्वप्नों को दुःस्वप्न कहा जाता है।शास्त्रों मे इनके दुष्प्रभाव की शान्ति हेतु अनेक उपाय बताये गये हैं।परन्तु लिङ्गपुराण 85/202 मे बताया गया उपाय अपेक्षाकृत अधिक सरल एवं प्रामाणिक है।
उक्त ग्रन्थ के अनुसार दुःस्वप्न देखने पर मनुष्य को चाहिए कि वह दस सहस्र " ऊँ नमः शिवाय " का जप करे और उसके बाद उसी मन्त्र से घृत की 108 आहुति प्रदान करे।इतना कर देने से दुःस्वप्न जनित सम्पूर्ण दोष शान्त हो जाते हैं।
Thursday, 25 August 2016
दुःस्वप्न नाशक उपाय -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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