Thursday, 18 August 2016

संगति का प्रभाव -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          मानव-जीवन मे संगति का बहुत अधिक प्रभाव होता है।व्यक्ति जिस प्रकार के लोगों के साथ रहता है ; स्वयं भी उसी प्रकार का हो जाता है।महर्षि वेदव्यास का कथन सत्य ही है कि जैसे वस्त्र को जिस रंग मे रँगा जाता है ; वह उसी रंग का हो जाता है।ठीक उसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति सज्जन ; असज्जन ; तपस्वी या चोर का साथ करता है तो वह भी उन्हीं लोगों की तरह हो जाता है ---
   यदि सन्तं सेवति यद्यसन्तं
               तपस्विनं यदि वा स्तेनमेव।
   वासो यथा रंगवसं प्रयाति
               तथा स तेषां वशमभ्युपैति।।
           अतः हमे हर संभव प्रयास करना चाहिए कि उत्तमोत्तम व्यक्तियों का संग किया जाय और हमारे ऊपर दुष्टों की साया भी न पड़ने पाये।अच्छे लोगों का साथ सदैव सुखदायी और दुष्टों का साथ सदैव कष्टदायक होता है।जिस प्रकार दूध मे मिला हुआ पानी भी दूध बन जाता है ; उसी प्रकार सज्जनों का संग आपको भी सज्जन बना देता है।कज्जल की कोठरी मे जाने वाले को कज्जल अवश्य लगता है।इसलिए कज्जल-प्रकृति के लोगों से सदैव दूर रहना चाहिए।

No comments:

Post a Comment