देवाराधन मे मन्त्र-जप की विशिष्ट महत्ता है।मन्त्रों की गणना के लिए माला की आवश्यकता होती है।यह माला दाहिने हाथ की अँगुलियों द्वारा संचालित किया जाता है।माला-संचालन मे हाथ की किस अँगुली का प्रयोग करना चाहिए ; इस विषय पर भी गम्भीर विचार किया गया है।
लिङ्गपुराण के अनुसार भगवन्नाम जप मे अँगूठा मोक्षदायक होता है।तर्जनी अँगुली शत्रुनाशक मानी गयी है।मध्यमा अँगुली धनदायक होती है।अनामिका अँगुली शान्ति प्रदान करने वाली होती है।परन्तु जपकर्म मे कनिष्ठिका अँगुली का प्रयोग वर्जित है।जप मे अँगूठा का विशेष महत्त्व है।अँगूठे के बिना जो जप किया जाता है ; वह निष्फल हो जाता है।इसलिए अँगूठा और अन्य विहित अँगुली के सहयोग से जप करना चाहिए --
अङ्गुष्ठं मोक्षदं विद्यात्तर्जनी शत्रुनाशिनी।
मध्यमा धनदा शान्तिं करोत्येषा ह्यनामिका।।
कनिष्ठा रक्षणीया सा जपकर्मणि शोभने।
अङ्गुष्ठेन जपेज्जप्यमन्यैरङ्गुलिभिः सह।
अङ्गुष्ठेन विना कर्मं कृतं तदफलं यतः।।
अधिकाँश लोग मोक्ष ; सुख-शान्ति एवं धन-प्राप्ति के लिए ही जप करते हैं।इसलिए अँगूठे के साथ मध्यमा और अनामिका को मिलाकर जप किया जाता है।तर्जनी और कनिष्ठिका को पृथक् ही रखा जाता है।
Wednesday, 24 August 2016
मन्त्रजप मे अँगुली का महत्त्व -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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