मानव-जीवन बहुत विचित्र है।उसका स्वभाव और भी विचित्र है।भूल-चूक करना तो मानव का जन्मजात स्वभाव है।अनेक बार ऐसी स्थितियाँ आती हैं कि मनुष्य जाने-अनजाने मे कोई अपराध कर बैठता है और उसके परिणाम स्वरूप प्रायश्चित्त का भागीदार हो जाता है।परन्तु हमारे प्राचीन मनीषी तो बहुत दूरदर्शी थे।उन्होंने समस्त पापों के विनाश के लिए कोई न कोई उपाय बता रखा है।यहाँ उन्हीं उपायों मे से एक उपाय की चर्चा प्रस्तुत है।
श्रीमद्भागवत महापुपुराण की स्पष्ट घोषणा है कि जो मनुष्य गिरते-पड़ते ; फिसलते ; दुःख भोगते अथवा छींकते समय विवशता पूर्वक भी उच्च स्वर मे " हरये नमः " इस महामन्त्र का उच्चारण कर देता है ; वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है ---
पतितः स्खलितश्चार्तः क्षुत्त्वा वा विवशो ब्रुवन्।
हरये नम इत्युच्चैर्मुच्यते सर्वपातकात्।।
इतना ही नहीं ; बल्कि महात्माओं का तो यह भी कथन है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य अभिप्राय से संकेत मे ; परिहास ( हँसी मजाक ) मे ; राग या तान अलापने मे अथवा किसी की अवहेलना करने मे भी भगवान के नामों का उच्चारण कर ले तो भी उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं ---
साङ्केत्यं पारिहास्यं वा स्तोभं हेलनमेव वा।
वैकुण्ठनामग्रहणमशेषाघहरं विदुः।।
इस प्रकार हमारे महर्षियों ने पापनाशन हेतु अनेक छोटे एवं सरल उपाय बताये हैं।यदि इन उपायों मे किसी एक का सहारा लिया जाय तो निश्चित रूप से कल्याण हो जायेगा।
Sunday, 21 August 2016
पापनाशक मन्त्र -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment