त्रिदेवों मे शिव जी की विशिष्ट महत्ता है।उनकी उपासना से मनुष्य के सम्पूर्ण पापों का विनाश हो जाता है।उसे सम्पूर्ण सांसारिक सुखों एवं भोगों की प्राप्ति हो जाती है।उसके जीवन मे किसी प्रकार का अभाव नहीं रहता है।वह पूर्ण सुखी ; समृद्ध एवं ऐश्वर्यवान् हो जाता है।केवल शिवोपासना से ही व्यक्ति को वह सब कुछ मिल जाता है ; जिनकी उसे अभिलाषा होती है।इसीलिए मनीषियों ने शिवोपासना हेतु अनेक स्तोत्रों एवं मन्त्रों का विधान किया है।कुछ स्तोत्र एवं मन्त्र तो बहुत सरल एवं सुविधा जनक हैं।परन्तु कुछ कठिन ; श्रमसाध्य एवं व्यय साध्य भी हैं।
इन्हीं तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए विद्वानों ने नाम-जप करने की प्रेरणा दी है।साथ ही उनके कतिपय विशिष्ट नामों का उल्लेख किया है ; जिनका नित्य पाठ करने से मनुष्य अपमृत्यु ; पाप ; रोग आदि से पूर्णतः मुक्त हो जाता है।अन्त मे उसे शिव-सायुज्य की प्राप्ति हो जाती है।उन विशिष्ट नामों मे विश्वेश्वर ; विरूपाक्ष ; विश्वरूप ; सदाशिव ; शरण ; भव ; भूतेश ; करुणाकर शंकर आदि की गणना की गयी है ---
विश्वेश्वर विरूपाक्ष विश्वरूप सदाशिव।
शरणं भव भूतेश करुणाकर शंकर।।
एतानि शिवनामानि यः पठेन्नियतः सकृत्।।
नास्ति मृत्युभयं तस्य पापरोगादि किञ्चन।।
इस प्रकार यह उपाय अत्यन्त सरल ; सुविधाजनक एवं अनन्त पुण्यकारी है।अकेले इस उपाय के द्वारा ही मनुष्य भगवान शिव जी का परम अनुग्रह प्राप्त कर कृतकृत्य हो जाता है।उसे अन्य किसी उपाय का आश्रय ग्रहण करने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती है।
Monday, 22 August 2016
पुण्यदायक शिवनाम --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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