सनातन धर्म के जितने भी आधार ग्रन्थ हैं ; उन सब में मंगलकामनाओं की पर्याप्त बहुलता दृष्टिगोचर होती है।उन मंगल कामनाओं की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि उनमे किसी व्यक्ति विशेष की नहीं ; बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण की कामना की गयी है।इसके लिए निम्नलिखित श्लोक सर्वाधिक उल्लेखनीय है ;जिसमे यह भाव व्यक्त किया गया है कि सभी सुखी हों ; सभी स्वस्थ एवं निरोग रहें ; सबका कल्याण हो ; कोई भी दुःख का भागी न हो ----
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत्।।
आप स्वयं देख सकते हैं कि इस श्लोक मे जैसी उदात्त एवं सर्व मंगल की भावना व्यक्त की गयी है ; वैसी भावना अन्यत्र दुर्लभ है।यहाँ प्राणिमात्र के कल्याण की कामना की गयी है।यही तो इस देश एवं इस संस्कृति की विशेषता है।अतः हमे भी इसी भावना से ओतप्रोत होकर जीवन यापन करना चाहिए।
Monday, 29 August 2016
मंगलकामना --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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