सनातन परम्परा मे प्रत्येक देवता के स्थायी निवास स्थान का उल्लेख किया गया है।भगवान श्रीहरि का निवास वैकुण्ठ धाम या क्षीर सागर मे माना गया है।पुराणों मे अनेक ऐसे आख्यान उपलब्ध हैं ; जिनसे ज्ञात होता है कि अधिकाँश देवी-देवता उनसे मिलने के लिए वैकुण्ठ धाम जाया करते थे।यद्यपि यह सत्य है कि भगवान श्रीहरि का निवास वैकुण्ठ मे है किन्तु उन्हें जहाँ स्मरण किया जाता है ; वही वे आ जाते हैं।पद्मपुराण मे तो उनकी स्पष्ट घोषणा है कि न तो मै वैकुण्ठ मे रहता हूँ ; न योगियों के हृदय मे।बल्कि मेरे भक्त प्रेमविह्वल होकर जहाँ मेरा नाम-संकीर्तन करते हैं ; मै वहीं रहने लगता हूँ ---
नाहं वसामि वैकुण्ठे योगिनां हृदये न च।
मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद।।
यह बात केवल श्रीहरि के लिए ही नहीं है ; बल्कि समस्त देवताओं के लिए है।भक्तगण श्रद्धा ; विश्वास और भक्तिपूर्वक जहाँ भी उनको स्मरण करते हैं ; वहीं वे आ जाते हैं।
Wednesday, 24 August 2016
प्रभु का निवास -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment