किसी भी देवी-देवता का पूजन करते समय जो सामग्रियाँ अर्पित की जाती हैं ; उन्हें उपचार कहा जाता है।जब इष्टदेव को गन्ध ; पुष्प ; धूप ; दीप और नैवेद्य निवेदित किया जाता है ; तब उसे पञ्चोपचार पूजन कहा जाता है।दशोपचार पूजन मे पाद्य ; अर्घ्य ; आचमन ; स्नान ; वस्त्र ; गन्ध ; पुष्प ; धूप ; दीप और नैवेद्य निवेदित किया जाता है।षोडशोपचार पूजन मे पाद्य ; अर्घ्य ; आचमन ; स्नान ; वस्त्र ; आभूषण ; गन्ध ; पुष्प ; धूप ; दीप ; नैवेद्य ; आचमन ; ताम्बूल ; स्तवपाठ ; तर्पण और नमस्कार निवेदित किया जाता है।परन्तु जब आसानी से उपलब्ध होने वाली वस्तुओं से पूजन किया जाता है ; तब उसे यथालब्धोपचार पूजन कहा जाता है।
इन वस्तुओं को अर्पित करने से भिन्न-भिन्न फलों की प्राप्ति होती है।यहाँ पर शिवलिंग पूजन हेतु समर्पित की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं से प्राप्त होने वाले फलों का विवेचन प्रस्तुत है ---
अभिषेक --- भगवान शिव जी का अभिषेक करने से मनुष्य को आत्मशुद्धि की प्राप्ति होती है।
गन्ध --- शिव जी को गन्ध समर्पित करने से परम पुण्य की प्राप्ति होती है।
धूप --- शिव जी को धूप निवेदित करने से मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है।
दीप--- शिवाराधन मे प्रज्ज्वलित दीप दिखाने से ज्ञान का उदय होता है।
नैवेद्य --- भगवान को नैवेद्य निवेदित करने से दीर्घायु एवं तृप्ति की प्राप्ति होती है।
ताम्बूल --- शिव जी को नैवेद्य के बाद ताम्बूल अर्पित करने से भक्त को विविध प्रकार के भोगों की प्राप्ति होती है।
जप एवं नमस्कार --- पूजनोपरान्त जप एवं नमस्कार करने से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Friday, 26 August 2016
पूजन सामग्री का फल -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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