सनातन परम्परा मे कन्या का पिता होना सौभाग्य की बात मानी गयी है ; क्योंकि उसे कन्यादान सदृश महादान करने का सुअवसर प्राप्त होता है।कन्यादान करने वाले को मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति अवश्य होती है।इसीलिए कन्याओं को स्वर्ग की सीढ़ी कहा जाता है।परन्तु आधुनिक युग मे बेटी का बाप होना अभिशाप सा बन गया है।प्रत्येक पिता को बेटी के लिए सुयोग्य वर ढूँढने के लिए नाना प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अतः मै यहाँ एक ऐसे उपाय की चर्चा करने जा रहा हूँ ; जिसे विधिवत् सम्पन्न करने से हर प्रकार की वैवाहिक रुकावटें और बाधायें दूर हो जाती हैं।कन्या को शीघ्रातिशीघ्र सुयोग्य वर की प्राप्ति हो जाती है।
उपाय ----
-------- कन्या प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर शिवालय मे प्रतिष्ठित सभी देवी-देवताओं का सामान्य पूजन करे।उसके बाद माता पार्वती का विधिवत् पूजन करे।तत्पश्चात् श्रद्धा एवं विश्वास के साथ निम्नलिखित मन्त्र का पाँच माला जप करे ---
हे गौरि ! शंकरार्धाङ्गि !
यथा त्वं शंकरप्रिया।
तथा माम् कुरु कल्याणि
कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।
यदि समय और सुविधा न हो तो न्यूनतम एक माला जप तो करना ही चाहिए।शिवालय जाने की सुविधा न हो तो घर पर ही शिव-पार्वती का पूजन कर जप करें।परन्तु ध्यान रहे कि प्राणप्रतिष्ठित प्रतिमा के समक्ष जप करने का विशेष महत्व है।मातेश्वरी सफलता अवश्य देंगी।
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