यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को किया जाता है।
कथा ---
----- दक्ष प्रजापति की पुत्री काली का विवाह शिव जी के साथ हुआ था।एक बार शिव जी ने उपहास की दृष्टि से उन्हें गौरी कह दिया।अतः क्रुद्ध काली ने अपना शरीर भस्म कर दिया।इसी समय से वे हरकाली नाम से प्रसिद्ध हो गयीं।
विधि ---
------ प्रातः नित्यकर्म करके अनाजों के ऊपर अंकुरित हरी घास से बनी हुई हरकाली की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा और प्रार्थना करे।दूसरे दिन किसी सरोवर मे उन्हें विसर्जित कर दे।
माहात्म्य ---
----------- इससे मनुष्य आरोग्य सौभाग्य धन धान्य पुत्र पौत्र आदि का पूर्ण सुख प्राप्त करता है।
Wednesday, 16 March 2016
हरकाली व्रत
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