यह व्रत आश्विन शुक्ल पक्ष द्वादशी को किया जाता है।
कथा --
------ पौराणिक मान्यता के अनुसार आश्विन शुक्ला द्वादशी को क्षीरशायी भगवान विष्णु जी जागृत होने के लिए अँगड़ाई लेते हैं और ब्रह्मा जी ओंकार ध्वनि करते हैं।
विधि --
------ व्रती स्नानादि करके भगवान पद्मनाभ का पूजन करके उपवास एवं रात्रि-जागरण करे।
माहात्म्य --
----------- इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य की समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।
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