Wednesday, 16 March 2016

हलषष्ठी व्रत ( ललही छठ )

          हलषष्ठी व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी को किया जाता है।इसे ललही छठ भी कहा जाता है।
कथा ---
------      इस दिन शेषावतार बलराम जी का जन्म हुआ था।उनका प्रमुख अस्त्र हल था।इसलिए उन्हें हलधर तथा उनकी जन्मतिथि को हलषष्ठी कहा जाता है।
            श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार बलराम भी देवकी के सातवें गर्भ के रूप मे आये थे।परन्तु भगवान की आज्ञानुसार योगमाया ने उस गर्भ को देवकी के उदर से खींचकर गोकुल मे छिपी हुई वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के उदर मे स्थापित कर दिया।इसीलिए इन्हें संकर्षण भी कहा जाता है।
विधि --
------       व्रती माताओं को चाहिए कि वे प्रातः स्नानादि करके पृथ्वी पर एक गड्ढा बनायें।उसमे झरबेरी ; पलाश तथा गूलर की टहनी से बनी हुई हरछठ को गाड़कर उसका पूजन करे।नैवेद्य के रूप मे भुना हुआ गेहूँ चना धान मक्का ज्वार बाजरा जौ आदि चढ़ाया जाता है।बाद मे उनसे पुत्र रक्षा हेतु प्रार्थना की जाती है।
माहात्म्य --
-----------     इस व्रत के प्रभाव पुत्रगण वर्ष भर सुरक्षित एवं सानन्द रहते हैं।

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