यह व्रत आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को किया जाता है।
कथा --
------ यह व्रत प्राचीन काल से ही बहुत प्रसिद्ध है।वन-गमन के समय सीता जी ने मार्ग मे अशोक वृक्ष का पूजन एवं प्रदक्षिणा की थी।बाद मे इसका वर्णन श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से किया था।
विधि ---
----- व्रती प्रातः स्नान करके गन्धाक्षत आदि से अशोक वृक्ष का पूजन करे।फिर प्रार्थना पूर्वक अर्घ्य प्रदान करे --
पितृभ्रातृपतिश्वश्रूश्वशुराणां तथैव च ।
अशोक शोकशमनो भव सर्वत्र नः कुले।।
इसके बाद वृक्ष मे लाल वस्त्र लपेटकर पताकाओं से सुसज्जित करे।
माहात्म्य ---
---------- इससे परिवार मे कोई रोग-शोक नही होता है।स्त्री करे तो वह पतिप्रिया बनती है।
Wednesday, 23 March 2016
अशोक व्रत
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