देवी पूजन के लिए आश्विन शुक्ल अष्टमी बहुत शुभ मानी जाती है।परन्तु यह सप्तमी विद्धा नहीं होनी चाहिए।प्राचीन काल मे दैत्यराज दम्भ ने सप्तमी युक्त अष्टमी को पूजा की थी।इसीलिए वह इन्द्र के द्वारा मारा गया था।नवमी युक्त अष्टमी शुभ मानी जाती है।यदि सूर्योदय काल मे अष्टमी हो ; दिनान्त मे नवमी हो और मंगलवार का दिन हो तो बहुत शुभ होता है।
कथा --
----- ब्रह्मपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ला अष्टमी को अर्धरात्रि के समय पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र मे भद्रकाली रूप पार्वती का आविर्भाव हुआ था।इसी अष्टमी को दक्ष-यज्ञ का विनाश करने वाली भद्रकाली करोड़ो योगिनियों सहित महाघोर रूप मे प्रकट हुई थीं।
विधि ---
------ व्रती स्नानादि करके उपवास पूर्वक गन्धाक्षत आदि से भगवती का पूजन करे।यदि उस समय भद्रा व्याप्त हो तो यह पूजन सायंकाल मे करना चाहिए।अर्धरात्रि के समय बलिदान का विधान है।
माहात्म्य --
----------- इससे माता भगवती की असीम अनुकम्पा प्राप्त होती है।
Thursday, 24 March 2016
महाष्टमी व्रत
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment