विश्व गौरैया दिवस सर्वप्रथम 20 मार्च सन् 2010 को मनाया गया था।उस समय से आज तक प्रतिवर्ष उक्त तिथि को मनाया जाता है।इस बार सरकार भी अच्छी अभिरुचि प्रदर्शित कर रही है।अनेक विद्यालयों मे एक साथ करोड़ों छात्र/छात्राओं ने गौरैया संरक्षण का संकल्प लिया है।ये सभी कार्य बहुत सराहनीय हैं।किन्तु किसी भी कार्य की सफलता उसके परिणाम पर निर्भर करती है।यदि परिणाम अच्छा रहा तो प्रयास भी अच्छा माना जायेगा।
वस्तुतः हमे सर्वप्रथम उन कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए ; जिनके परिणाम स्वरूप गौरैया की संख्या निरन्तर घटती जा रही है।इस समय वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई होने के कारण उनके आवास का अभाव हो रहा है।जलाशय सूख जाने से प्यास नहीं बुझ रही है।फसलों मे अन्धाधुन्ध कीटनाशकों का प्रयोग होने से पक्षियाँ खेतों के पास जाते ही बीमारियों का शिकार हो रही हैं।इसी प्रकार के और भी असंख्य कारण हैं ; जो गौरैया सहित अन्य पक्षियों की संख्या घटने के लिए उत्तरदायी हैं।
अतः इस समय केवल भाषण देने ; संगोष्ठी आयोजित करने या नारे लगाने से इस समस्या का निदान नहीं होगा।इसके लिए सार्थक प्रयास करने होंगे।इसके लिए अधिकाधिक पौध-रोपण कराया जाय।जलाशयों मे जल भराया जाय।खेतों मे कम से कम कीटनाशकों का प्रयोग किया जाय।प्रत्येक घर की छत पर कसोरे आदि पात्रों मे प्रतिदिन जल भर कर रखा जाय।साथ ही सरकारी स्तर पर जो प्रयास किये जायँ ; उनके परिणाम का मूल्याँकन किया जाय।तब इस दिवस को मनाने की सार्थकता सिद्ध होगी।
Friday, 18 March 2016
विश्व गौरैया दिवस
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