Sunday, 27 March 2016

कार्तिक स्नान

          माघ एवं वैशाख की भाँति कार्तिक स्नान का भी बहुत महत्व है।जो व्यक्ति कार्तिक मास मे नित्य प्रातः स्नान एवं एकभुक्त-व्रत करता है ; उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।यह स्नान आश्विन शुक्ला पूर्णिमा से आरम्भ कर कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा तक किया जाता है।स्नान के लिए घर की अपेक्षा नदी या कोई तीर्थस्थल अधिक उपयुक्त होता है।परन्तु जिस स्थान पर स्नान करे ; वहीं पर गंगा का स्मरण अवश्य कर लेना चाहिए।
           प्रातः स्नान मे जब दो घटी ( 48 मिनट ) रात्रि शेष रहे ; तभी जलाशय मे नियमपूर्वक स्नान करना चाहिए।सूर्योदय काल का स्नान मध्यम श्रेणी का माना जाता है।जब तक कृत्तिका अस्त न हो ; तभी तक स्नान का महत्व है।विलम्ब से किया गया स्नान कार्तिक-स्नान की श्रेणी मे नहीं आता है।स्नानोपरान्त देवपूजन अवश्य करना चाहिए।

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