यह व्रत आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी को किया जाता है।पद्मपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ल अष्टमी नवमी से युक्त हो और मूल नक्षत्र हो तो उसे महानवमी कहा जाता है।
विधि --
----- व्रती प्रातः स्नानादि कर व्रत का संकल्प ले।फिर देवी जी का विधिवत् पूजन करे।विविध प्रकार के व्यञ्जनो का भोग लगाये।नीराजन आदि के बाद उपहार प्रदान करे।
माहात्म्य --
----------- इससे माता भगवती की विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है।
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