श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को श्रवण पूजन का विधान है।
कथा --
------ एक बार श्रवण कुमार अपने अन्धे माता-पिता को तीर्थयात्रा कराने लिए जा रहे थे।मार्ग मे रात्रि के समय वे नदी मे पानी लेने गये।वहीं पर दशरथ जी शिकार की ताक मे छिपे बैठे थे।श्रवण ने जब घड़े को जल मे डुबाया तो उसकी ध्वनि को पशु की ध्वनि समझकर दशरथ जी ने बाण चला दिया।इससे श्रवण की मृत्यु हो गयी।
राजा दशरथ ने बहुत पश्चात्ताप किया।वहीं पर उन्होंने श्रवण - पूजा का व्यापक प्रचार करने का संकल्प लिया।उसी समय से इस पूजा का प्रचलन हुआ।
विधि --
----- इस दिन प्रातः स्नानादि करके पितृभक्त श्रवण कुमार की विधिवत् पूजा करनी चाहिए।
माहात्म्य --
---------- इससे पितृ भक्ति की भावना का विकास होता है।
Tuesday, 15 March 2016
श्रवण पूजन
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