रक्षा बन्धन का पर्व श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है।
कथा --
----- प्राचीन काल मे देवताओं और दानवों के मध्य बारह वर्षों तक युद्ध चलता रहा।परन्तु देवताओं को विजय की प्राप्ति नही हो रही थी।अतः देवगुरु वृहस्पति ने युद्ध बन्द करवा दिया।उस समय अपने गुरुदेव के निर्देशानुसार इन्द्राणी ने श्रावण शुक्ला पूर्णिमा को इन्द्र के हाथ मे रक्षा सूत्र बाँधा।इसके प्रभाव से देवगण विजयी हो गये।
विधि --
------ साधक प्रातः स्नानादि कर एक वस्त्र मे स्वर्ण ; सरसों ; केसर ; चन्दन ; अक्षत ; दूर्वा आदि रखकर सूत के धागे से बाँधकर रक्षा बनाये।कलश स्थापित कर उस पर रक्षा को रखकर उसका पूजन करे।फिर उस रक्षा को निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए हाथ मे बाँधे --
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
आजकल अधिकाँशतः बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके हाथ मे राखी बाँधती हैं और अपनी रक्षा का संकल्प कराती हैं।इस समय यह बहुत पवित्र एवं जनप्रिय त्योहार बन गया है।
माहात्म्य --
----------- शास्त्रीय विधि से बनाये गये रक्षा को बाँधने से मनुष्य पूरे वर्ष भर पुत्र-पौत्र सहित सुखी रहता है।
Tuesday, 15 March 2016
रक्षा बन्धन
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