Monday, 14 March 2016

रोहिणी चन्द्र व्रत

           यह व्रत श्रावण कृष्ण पक्ष एकादशी को किया जाता है।
कथा --
-----      एक बार महाराज युधिष्ठिर न श्रीकृष्ण से पूछा कि स्त्रियों को वर्षा ऋतु मे कौन सा सत्कर्म या व्रत करना चाहिए।उस समय श्रीकृष्ण ने रोहिणी चन्द्र व्रत करने को कहा था।
विधि --
-------   व्रती प्रातः सर्वौषधि मिश्रित जल से स्नान करके  उर्दी के आटा से एक सौ इन्दुरिकायें एवं पाँच घृतमोदक बनाये।सभ सामान लेकर जलाशय के पास जाये।वहाँ तट पर गोबर से मण्डल बनाकर उसमे रोहिणी चन्द्रमा को अंकित कर उनका विधिवत् पूजन कर प्रार्थना करे ---
  सोमराज नमस्तुभ्यं रोहिण्यै ते नमो नमः।
  महासति महादेवि सम्पादय ममेप्सितम्।।
            इसके बाद सोमो मे प्रीयताम् और देवी रोहिणी मे प्रीयताम् कहकर पूजन सामग्री ब्राह्मण को दान कर दे।फिर कमर भर पानी मे घुसकर मन मे रोहिणी चन्द्र का ध्यान करते हुए इन्दुरिकाओं को खा ले।जल से बाहर आकर ब्राह्मणो को भोजन एवं दक्षिणा से सन्तुष्ट करे।
माहात्म्य --
----------    इसके प्रभाव से मनुष्य धन धान्य पुत्र पौत्र आदि से युक्त होकर दीर्घकाल तक सुखमय जीवन व्यतीत करता है।अन्त ब्रह्म विष्णु एवं शिवलोक को प्राप्त होता है।

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