यह व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है।इसमे मंगलवार को गौरी पूजन करने के कारण इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।
कथा ---
------ प्राचीन काल मे कुण्डिन नगर मे धर्मपाल नामक एक सेठ रहता था।उसके एक भी पुत्र नहीं उत्पन्न हुआ।एक दिन सेठानी ने एक भिक्षु की झोली मे छिपाकर सुवर्ण डाल दिया।इससे क्रुद्ध होकर भिक्षु ने सन्तान हीन होने का शाप दे दिया।बाद मे गौरी व्रत करने से उसे एक पुत्र प्राप्त हुआ।कुछ दिनो बाद गणपति ने उसे साँप काटने का शाप दे दिया।परन्तु उस बच्चे की सास ने मंगला गौरी के व्रत किया ; जिससे वह शतायु हो गया।उसी समय से इस व्रत का प्रचार हुआ।
विधि --
------ व्रती महिला को चाहिए कि वह प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त होकर एक चौकी पर कलश स्थापित करे।गणेश नवग्रह षोडश मातृका का आवाहन एवं पूजन करे।फिर गौरी-प्रतिमा स्थापित कर सोलह बत्तियों का दीपक जलाकर उनका पूजन करे।लवण रहित भोजन एवं रात्रि-जागरण के बाद दूसरे दिन गौरी जी का विसर्जन करे।
माहात्म्य ----
----------- इससे गौरी माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों का सर्वविध कल्याण करती हैं।
Tuesday, 15 March 2016
मंगला गौरी व्रत
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