ऋषि तर्पण या उपाकर्म श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को किया जाता है।इसमे प्रायः सभी आश्रमों के लोग अपनी-अपनी परम्परा के अनुसार उपाकर्म करते हैं।इस दिन किसी नदी मे स्नान करके उसी के तट पर कुश से ऋषियों की स्थापना करे।फिर उनका पूजन तर्पण आदि करे।सायंकाल के समय व्रत का समापन किया जाता है।
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