Friday, 18 March 2016

अपराजिता सप्तमी व्रत

            यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष सप्तमी को किया जाता है।इसके प्रभाव से व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर अपराजित रहता है।इसीलिए इसे अपराजिता कहा जाता है।
कथा ---
------      इस व्रत का वर्णन ब्रह्मा जी ने गणेश जी से किया था।
विधि --
------      व्रती चतुर्थी को एकभुक्त ; पञ्चमी को नक्तव्रत; षष्ठी को उपवास और सप्तमी को विधिवत् सूर्यपूजन कर पारणा करे।इसी प्रकार एक वर्ष तक प्रत्येक शुक्ल पक्ष मे करते हुए तीन-तीन महीने मे पारणा करे।
माहात्म्य ---
----------     इस व्रत से मनुष्य सदैव अपराजेय रहता है।उसे धर्म अर्थ काम तीनो की प्राप्ति हो जाती है।

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