यह व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को किया जाता है।
विधि --
------ व्रती प्रातः स्नानादि करके भगवान वासुदेव का षोडशोपचार पूजन कर खीर-पूड़ी का हवन करे।इसमे कामनानुसार फलाहार का विधान है।पुत्र चाहने वाले को केला अमरूद आदि पुरुषवाची फलों और कन्यार्थी को नारंगी जामुन आदि स्त्रीवाची फलों का आहार करना चाहिए।इस व्रत को एक वर्ष तक करना चाहिए।
माहात्म्य ---
---------- इस व्रत के प्रभाव से सन्तान-प्राप्ति अवश्य होती है।
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