आकाश मे उत्तर दिशा की ओर स्थित सात तारों के मण्डल को सप्तर्षि-मण्डल कहा जाता है।यह मण्डल सदैव ध्रुव तारा के सीध मे होता है।इसमे सात तारे होते हैं।चार तारे चौकोर चार कोनो पर होते हैं।शेष तीन तारे नीचे की ओर लटकती हुई तिरछी रेखा मे स्थित होते हैं।इस प्रकार सप्तर्षि-मण्डल का आकार पूँछ सहित एक पतंग की भाँति होता है।इन तारों के नाम सात महर्षियों के नाम पर हैं।
ब्रह्मा जी के एक दिन को एक कल्प कहा जाता है।प्रत्येक कल्प मे चौदह मन्वन्तर होते हैं।प्रत्येक मन्वन्तर मे भिन्न-भिन्न सप्तर्षि होते हैं।इस समय सातवाँ मन्वन्तर चल रहा है।इस मन्वन्तर के सप्तर्षियों के नाम इस प्रकार हैं --- वसिष्ठ ; काश्यप ; अत्रि ; जमदग्नि ; गौतम ; विश्वामित्र और भरद्वाज ---
वसिष्ठःकाश्यपोऽथात्रिर्जमदग्निस्सगौतमः।
विश्वामित्रभरद्वाजौ सप्त सप्तर्षयोऽभवन्।।
ये सातो ऋषि पवित्रात्मा एवं एवं तपोधन हैं।प्रातःकाल इनका नाम स्मरण करने से सम्पूर्ण दिन मङ्गलमय रहता है।
Tuesday, 29 March 2016
सप्तर्षि मण्डल
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