यह पर्व आश्विन शुक्ला षष्ठी से दशमी तक मनाया जाता है।
विधि --
----- कालिकापुराण के अनुसार आश्विन शुक्ला षष्ठी को बिल्ववृक्ष मे देवी का बोधन करे ; सप्तमी को बेल की शाखा काटकर घर लाये और पूजन करे।अष्टमी को विशेष पूजन ; जागरण और अर्धरात्रि मे बलिदान करे।नवमी को विशेष बलिदान करे।दशमी को उत्सव मनाते हुए विसर्जन करे।
माहात्म्य --
----------- इससे माता भगवती की विशिष्ट अनुकम्पा प्राप्त होती है।
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