Monday, 21 March 2016

श्रवण द्वादशी व्रत

           यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी को श्रवण नक्षत्र रहने पर किया जाता है।यदि इस दिन बुधवार हो तो अधिक शुभ होता है।
कथा --
------       प्राचीन काल मे एक वणिक् अपने साथियों से बिछुड़ कर मरुस्थल मे पहुँच गया।वह भूख-प्यास से तड़पने लगा।उसी समय कुछ प्रेत आये और उसे भोजन कराया।बाद मे प्रेतों ने निवेदन किया कि आप हमारी मुक्ति के लिए गया-श्राद्ध कीजिए।वणिक् घर आया और बाद मे गया जाकर अक्षय वट के समीप श्राद्ध किया ; जिससे सभी प्रेतों का उद्धार हो गया।घर लौटकर वणिक् ने श्रवण द्वादशी को भगवान जनार्दन का पूजन और गोदान किया।इससे उसे परमानन्द की प्राप्ति हुई।
विधि --
------       व्रती प्रातः स्नानादि करके कलश पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर उनका पूजन करे।उपवास एवं रात्रि-जागरण के बाद दूसरे दिन भगवान गरुड़ध्वज की पूजा कर प्रार्थना करे।
माहात्म्य ---
-----------   इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य की सभी कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।

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