यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष मे निशीथ-व्यापिनी पूर्णिमा को मनाया जाता है।
कथा --
------- शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन रात्रि के समय लक्ष्मी और इन्द्र भ्रमण पर निकलते हैं और पूछते हैं कि कौन जाग रहा है -- को जागर्ति।यदि उस समय उन्हें दीपकों का प्रकाश दिखाई पड़ता है तब वे बहुत प्रसन्न होते हैं।
विधि ---
------ व्रती स्नानादि करके लक्ष्मी इन्द्र कुबेर आदि का पूजन करे।रात्रि मे घर मन्दिर मार्ग आदि मे दीपक जलाकर रात्रि-जागरण करे।दूसरे दिन इन्द्र का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन दक्षिणा आदि से सन्तुष्ट करे।
माहात्म्य ---
----------- इस दिन लक्ष्मी कुबेरादि का पूजन करने से इन देवों की अनुकम्पा प्राप्त होती है।
Saturday, 26 March 2016
कोजागरी
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