Tuesday, 22 March 2016

मेघपाली तृतीया व्रत

           यह व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष तृतीया को किया जाता है।
कथा --
------     एक बार महाराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से मेघपाली तृतीया के विषय मे पूछा।श्रीकृष्ण ने बताया कि मेघपाली रक्तवर्णीया एक लता है।इसके पत्ते ताम्बूल सदृश होते हैं।इसकी मञ्जरी बहुत सुन्दर होती है।यह प्रायः मार्गों एवं पर्वतों पर पाई जाती है।
विधि --
------   व्रती स्नानादि करके गन्धाक्षत आदि से मेघपाली का पूजन करे।फिर लाल वस्त्र से आच्छादित एवं अबीर से अलंकृत कर अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।
माहात्म्य --
-----------    इसके प्रभाव से मनुष्य निष्पाप ; दीर्घायु ; सुखी ; सौभाग्यशाली और ऐश्वर्यवान हो जाता है।अन्त मे उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।

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