यह व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी को किया जाता है।
कथा --
------ इस व्रत का वर्णन अग्निपुराण मे स्वयं भगवान अग्निदेव ने किया है।
विधि ---
----- व्रती प्रातः स्नानादि करके व्रत का संकल्प ले।दिन भर निराहार रहकर दूसरे दिन पारणा करे।
माहात्म्य ---
----------- एक बार भी इस व्रत को कर लेने से मनुष्य को भोग और मोक्ष दोनो की प्राप्ति हो जाती है।
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