यह व्रत आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को किया जाता है।
कथा --
------ इस व्रत का वर्णन भगवान ब्रह्मा जी ने व्यास जी से किया था।
विधि --
----- व्रती स्नानादि करके एकभुक्त व्रत करे।इस प्रकार एक वर्ष तक व्रत करके दस गौओं का दान करे और दिक्पालों को स्वर्णमेखला निवेदित करे।
माहात्म्य ---
----------- इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य समस्त ब्रह्माण्ड का स्वामी बन जाता है।
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