इस व्रत का आरम्भ भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी को किया जाता है।
विधि --
------ व्रती प्रातः स्नानादि करके लक्ष्मी जी का विधिवत् पूजन करे।फिर उसी के समीप सोलह सूत्र से बने धागे मे सोलह गाँठें लगाकर उसका भी ऊँ लक्ष्म्यै नमः से पूजन करे।फिर उस धागे को अपने हाथ मे बाँध ले।इसी प्रकार प्रतिदिन आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी तक पूजन कर विसर्जन करे।
माहात्म्य --
---------- इस व्रत के प्रभाव से माता लक्ष्मी की अनुकम्पा प्राप्त होती है।
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