योगिनी एकादशी व्रत आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी को किया जाता है।
कथा ---
----- देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर जी भगवान शिव जी के अनन्य भक्त थे।हेममाली नामक सेवक उन्हें प्रतिदिन पूजन हेतु पुष्प लाता था।एक दिन वह अपनी पत्नी के प्रेम-पाश मे पड़ जाने के कारण यथासमय पुष्प नहीं पहुँचा सका।अतः क्रुद्ध कुबेर ने उसे कुष्ठी होने का शाप देकर अपने राज्य से निकाल दिया।बेचारा हेममाली इधर-उधर भटकता हुआ सुमेरु पर्वत पर पहुँच गया।वहाँ मार्कण्डेय ऋषि को प्रणाम कर उन्हें अपनी व्यथा सुनाई।मुनिवर ने उसे योगिनी एकादशी व्रत करने का निर्देश दिया।हेममाली ने विधिवत् व्रत किया ; जिससे उसका कुष्ठ ठीक हो गया।बाद मे कुबेर ने उसे अपनी सेवा मे पुनः रख लिया।
विधि --
----- व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान पुण्डरीक का विधिवत् पूजन करे।उनके चरणोदक को अपने शरीर पर छिड़के।दिन भर उपवास एवं रात्रि जागरण करके दूसरे दिन पारणा करे।
माहात्म्य ---
---------- यह व्रत सभी पापों को दूर करने वाला एवं अनन्त पुण्य प्रदान करने वाला है।इस व्रत को करने से अट्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल प्राप्त होता है।
Saturday, 12 March 2016
योगिनी एकादशी व्रत
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