इन्दिरा एकादशी व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष एकादशी को होता है।
कथा --
------ एक बार माहिष्मतीपुरी के राजा इन्द्रसेन की राजसभा मे देवर्षि नारद जी आये।उन्होंने बताया कि तुम्हारे स्वर्गीय पिता जी व्रत-भंग दोष के कारण यमपुरी मे पड़े हैं।उन्होंने मुझसे तुम्हारे लिए सन्देश दिया है कि मुझे इन्दिरा एकादशी व्रत का पुण्य प्रदान कर स्वर्ग भेजो।इसे सुनकर इन्द्रसेन ने सपरिवार व्रत किया और उसका पुण्य अपने पिता को प्रदान किया।इससे उनके पिता जी स्वर्ग चले गये।बाद मे इन्द्रसेन को भी स्वर्ग-प्राप्ति हुई।
विधि --
----- व्रती दशमी को एकभुक्त कर भूशयन करे।एकादशी को व्रत का संकल्प लेकर मध्याह्न काल मे शालग्राम-शिला के समक्ष श्राद्ध एवं ब्राह्मण-भोजन का आयोजन करे।स्वयं पिण्ड को सूँघकर गाय को खिला दे।फिर भगवान हृषीकेश का विधिवत् पूजन करे।उपवास और रात्रि जागरने के बाद दूसरे दिन श्रीहरि की पूजा एवं ब्राह्मण-भोजन के बाद पारणा करे।
माहात्म्य ---
---------- यह व्रत प्रबल पापनाशक है।इस व्रत के प्रभाव से निम्न योनि मे पड़े हुए पितरों को भी सद्गति की प्राप्ति हो जाती है।
Wednesday, 23 March 2016
इन्दिरा एकादशी व्रत
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