Friday, 18 March 2016

दूर्वाष्टमी व्रत

          यह व्रत भाद्रपद शुक्ला अष्टमी को किया जाता है।
कथा --
------     समुद्र-मन्थन के समय भगवान विष्णु ने मन्दराचल पर्वत को अपनी जंघा पर धारण किया था।मन्दराचल की रगड़ से भगवान के असंख्य रोम उखड़ कर समुद्र मे गिर गये।वही रोम लहरों द्वारा भूमि पर आकर दूर्वा के रूप मे उत्पन्न हुए।बाद मे इसी दूर्वा पर अमृत-कलश रखा गया।उस समय अमृत की कुछ बूँदें उस पर गिर गयीं।इससे दूर्वा अजर-अमर हो गयी।
विधि ---
------      व्रती महिला को चाहिए कि वह स्नानादि करके उपवास पूर्वक दूर्वा का पूजन करे।बाद मे ब्राह्मण भोजन कराये।
माहात्म्य ---
------------     इसके प्रभाव से धन धान्य पुत्र पौत्र सौभाग्य आदि का सुख प्राप्त होता है।

No comments:

Post a Comment