Saturday, 12 March 2016

निर्जला एकादशी व्रत

           निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी को किया जाता है।इसमे जल की एक बूँद भी पीना मना है।इसीलिए इसको निर्जला एकादशी कहा जाता है।
कथा --
-----       एक बार पाण्डुपुत्र भीम ने व्यास जी से निवेदन किया कि मै उपवास करने मे नितान्त असमर्थ हूँ।अतः कोई ऐसा व्रत बतायें ; जिसे करने से मेरा कल्याण हो सके।व्यास जी ने उन्हें निर्जला एकादशी व्रत करने का निर्देश दिया।तब भीम ने उसका व्रत किया और उसके प्रभाव से स्वर्ग को प्राप्त किया।
विधि ---
-----       व्रती प्रातः स्नानादि करके उपवास पूर्वक श्री हरि का पूजन करे।एकादशी के सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक एक बूँद भी जल न ग्रहण करे।द्वादशी को पुनः विष्णु-पूजन कर शक्कर सहित जलपूर्ण घट का दान करे।ब्राह्मण भोजन कराने के बाद स्वयं भी भोजन करे।
माहात्म्य ---
-----------     यह एकादशी अत्यन्त पुण्यदायिनी ; पापनाशिनी एवं अनामय पद दायिनी है।यदि कोई व्यक्ति वर्ष भर की एकादशियों का व्रत न कर सके तो केवल इसी एकादशी का व्रत कर लेने से उसे वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है।

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