Wednesday, 2 March 2016

वैशाख मे विष्णु-पूजन

           वैशाख मास बहुत पवित्र एवं पुण्यदायक माना जाता है।स्कन्दपुराण के अनुसार जैसे सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है ; वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है ; उसी प्रकार वैशाख के समान कोई मास नहीं है।यह मास शेषशायी भगवान विष्णु ( माधव ) को अत्यधिक प्रिय है।इसीलिए वैशाख को माधव-मास भी कहा जाता है।भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए वैशाख मास के समान कोई दूसरा महीना है ही नहीं।इसलिए वैशाख मे भगवान विष्णु की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
           विष्णु-भक्त को चाहिए कि वह प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर कुशासन पर बैठकर अपने समक्ष अष्टदल कमल की रचना करे।उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करे।फिर पुरुषसूक्त के मंत्रों द्वारा चन्दन-उशीरव-कर्पूर-केसर-सुवासित जल से स्नान कराये। वस्त्र ; यज्ञोपवीत ; आभूषण ; हार ;गन्ध ; पुष्प ; अक्षत आदि समर्पित करे।धूप ; दीप आदि के बाद गुड़ ; घी ; खीर ; मालपुआ ; लड्डू ; दूध ; दही आदि विविध प्रकार के नैवेद्य निवेदित करना चाहिए।इसके बाद भगवान् की प्रार्थना करे ---
    शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
           विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
     लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
            वन्दे विष्णुं भव-भय-हरं सर्वलोकैकनाथम् ।।
           इसके बाद विधिवत् हवन करे।फिर भगवान का पूजन कर प्रणाम करे।पार्षदों को नैवेद्य अर्पित करे।तत्पश्चात् विष्णु सहस्र नाम अथवा अन्य किसी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।यदि इतनी सामर्थ्य न हो तो केवल " ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय " का ही जप करना चाहिए।इसके बाद अर्पित किये हुए प्रसाद को ग्रहण करे।प्रतिमा विसर्जित करने योग्य हो तो विसर्जित कर दे।
           विष्णु-पूजन मे तुलसी की विशिष्ट महत्ता है।जो मनुष्य वैशाख मास मे काली व सफेद तुलसी से भगवान मधुसूदन विष्णु का पूजन करता है ; वह नारायण स्वरूप हो जाता है।जो व्यक्ति सम्पूर्ण वैशाख मास भर तुलसी द्वारा भगवान् माधव ( विष्णु ) का त्रिकाल पूजन करता है ; उसका पुनर्जन्म नहीं होता है।अर्थात् वह मुक्त हो जाता है।वैशाख मास मे माधव-पूजन से विष्णुसायुज्य की प्राप्ति हो जाती है।
          इसी प्रकार वैशाख मास मे जो व्यक्ति प्रातः स्नान कर माधव-प्रीति पूर्वक पीपल की जड़ मे जल देकर परिक्रमा करता है ; चराचर जगत् ; पितरों और मनुष्यों को तृप्त कर देता है।उसके दस हजार कुल तर जाते हैं।अतः प्रत्येक आस्तिक व्यक्ति को चाहिए कि वह वैशाख मास मे विष्णु पूजन अवश्य करे।
          

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