वैशाख मास मे जब सूर्यदेव मेष राशि पर स्थित हों ; तब भगवान विष्णु के उद्देश्य से प्रातः स्नान करने का विशेष महत्व है।स्कन्दपुराण मे गंगा ; गोदावरी ; यमुना ; सरस्वती ; कावेरी ; नर्मदा और वेणी नामक नदियों को सप्तगंगा कहा गया है।वैशाख मास मे इन सातों मे से किसो भी नदी मे स्नान करने से मनुष्य करोड़ो जन्मों मे उपार्जित किये गये पापों से मुक्त हो जाता है।यदि यह संभव न हो तो किसी भी समुद्रगामिनी नदी मे स्नान करने से मनुष्य सात जन्मों के पाप से तत्काल मुक्त हो जाता है।इतना ही नहीं बल्कि किसी बावली मे भी वैशाख मे प्रातःकाल स्नान किया जाय तो भी महापातकों का नाश हो जाता है।
भगवान विष्णु की आज्ञा से वैशाख मास मे सभी देवता एवं तीर्थगण गाँव के बाहर के जल मे निवास करते हैं।इसलिए इस मास मे प्रत्येक व्यक्ति को प्रातः स्नान अवश्य करना चाहिए।यदि कोई व्यक्ति पूरे मास भर स्नान करने मे असमर्थ हो तो केवल तीन दिनों तक अर्थात् वैशाख शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक नियम पूर्वक स्नान करने से स्त्री और पुरुष समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं।
वैशाख मास के देवता भगवान मधुसूदन जी हैं।अतः वैशाख मे प्रातः स्नान करते समय निम्नलिखित मंत्र से प्रार्थना करनी चाहिए --
मधुसूदन देवेश वैशाखे मेषगे रवौ।
प्रातः स्नानं करिष्यामि निर्विघ्नं कुरु माधव।।
इस मंत्र को पढ़ने के बाद विधिवत् स्नान करे।तत्पश्चात् भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य प्रदान करे ---
वैशाखे मेषगे भानौ प्रातःस्नानपरायणः।
अर्घ्यं तेऽहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।
इस प्रकार स्नान ; अर्घ्य ; सन्ध्या ; तर्पण आदि करने के बाद भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।साथ ही वैशाख स्नान माहात्म्य की कथा श्रवण करनी चाहिए।इससे असीम पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
Thursday, 3 March 2016
वैशाख स्नान का महत्व
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment