Sunday, 6 March 2016

शर्करा सप्तमी व्रत

         शर्करा सप्तमी व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को किया जाता है।इसमे शर्करा पूर्ण पात्र का दान किया जाता है।इसीलिए इसे शर्करा सप्तमी कहा जाता है।
कथा --
------      समुद्र-मन्थन से निकले हुए अमृत का पान करते समय सूर्यदेव के मुख से अमृत की कुछ बूँदे पृथ्वी पर गिर गयीं।उन्हीं बूँदों से शालि चावल ; मूग और ईख उत्पन्न हुई।ईख से ही शर्करा बनती है।इसलिए शर्करा सूर्यदेव को अत्यधिक प्रिय है।
विधि --
-----        व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर कुंकुम से कर्णिका युक्त अष्टदल कमल बनाये।उस पर ऊँ सवित्रे नमः से गन्ध धूप आदि अर्पित करे।फिर जलपूर्ण कलश पर शर्करा भरा पात्र स्थापित करे।वहीं अश्व की स्वर्ण मूर्ति भी स्थापित करे।सूर्यदेव का आवाहन पूजन करे।सूर्य सूक्त का जप करे।दूसरे दिन सूर्यदेव का पूजन कर ब्राह्मण को शर्करा मिश्रित भोजन कराये।इस प्रकार एक वर्ष तक व्रत करके उद्यापन करे।
माहात्म्य ---
----------    इस व्रत एवं पूजन के प्रभाव से मनुष्य निष्पाप होकर दीर्घायु ; आरोग्य एवं अनन्त ऐश्वर्य को प्राप्त करता है।अन्त मे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

No comments:

Post a Comment