निम्बसप्तमी व्रत वैशाख शुक्ल सप्तमी को किया जाता है।इसमे निम्बपत्र-प्राशन की प्रधानता होने के कारण इसे निम्बसप्तमी कहा जाता है।
कथा --
----- इस व्रत का वर्णन भविष्यपुराण मे सुमन्तु जी ने राजा शतानीक से किया था।
विधि --
------ व्रती प्रातः स्नानादि करके कर्णिका युक्त अष्टदल कमल बनाये।उसमे " ऊँ खखोलकाय नमः " मंत्र से सूर्यदेव का आवाहन पूजन करे।बाद मे उनके परिकरों एवं देवशक्तियों का भी पूजन करे।फिर निम्नलिखित मंत्र द्वारा निम्ब की प्रार्थना करे।फिर उसे सूर्यदेव को निवेदित कर स्वयं प्राशन करे ---
त्वं निम्ब कटुकात्मसि आदित्यनिलयस्तथा।
सर्वरोगहरः शान्तो भव मे प्राशनं सदा।।
इसके बाद सूर्यमंत्र का जपे ; ब्राह्मणों को भोजन एवं दक्षिणा से सन्तुष्ट करे।फिर स्वयं मधुर भोजन करे।इस प्रकार एक वर्ष तक व्रत करना चाहिए।
माहात्म्य ---
----------- इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य सभी रोगों से मुक्त हो जाता है।वह सुखमय जीवन व्यतीत कर सूर्यलोक को प्राप्त करता है।
Sunday, 6 March 2016
निम्बसप्तमी व्रत
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