सीता नवमी व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी को किया जाता है।
कथा ---
----- वाल्मीकीय रामायण के अनुसार यज्ञ के लिए भूमि-शोधन करते समय राजा जनक खेत मे हल चला रहे थे।उसी समय हल के अग्रभाग से जोती गयी भूमि ( हराई या सीता ) से एक कन्या प्रकट हुई।सीता अर्थात् हल द्वारा खींची गयी रेखा से उत्पन्न होने के कारण उसका नाम सीता रखा गया --
अथ मे कृषतः क्षेत्रं लाङ्गलादुत्थिता ततः।
क्षेत्रं शोधयता लब्ध्वा नाम्ना सीतेति विश्रुता।
भूतलादुत्थिता सा तु व्यवर्धत ममात्मजा।।
यह घटना वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी मंगलवार एवं पुष्य नक्षत्र मे हुई थी।इसीलिए इस तिथि को सीता नवमी ( जानकी नवमी ) कहा जाता है।
विधि --
----- प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास पूर्वक सीता जी का पूजन एवं जन्मोत्सव मनाना चाहिए।
माहात्म्य ---
----------- इस व्रत के प्रभाव से जगज्जननी सीता जी की अनुकम्पा प्राप्त होती है।
Monday, 7 March 2016
सीता नवमी ( जानकी नवमी )
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