वैशाख मास बहुत पवित्र एवं पुण्यदायक है।इस मास मे दान एवं व्रत करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
दान ----
---- वैशाख मास मे दान की असीम महत्ता है।इस मास मे तिल ; जल ; स्वर्ण ; अन्न ; वस्त्र ; शक्कर ; गौ ; छड़ाऊँ ; छाता ; कमल ; शंख ; जलपूर्ण घट आदि वस्तुओं का दान करने से अनन्त पुण्यफल की प्राप्ति होती है।शास्त्रों मे तो यहाँ तक कहा गया है कि सभी दानो एवं तीर्थों से जो फल होता है ; वह वैशाख मे केवल जलदान करने से ही मिल जाता है।जो व्यक्ति यात्रियों के लिए जलप्याऊ लगाता है ; वह विष्णुलोक मे प्रतिष्ठित होता है।जो व्यक्ति थके माँदे यात्रियों को जल पिलाकर सन्तुष्ट करता है ; उससे ब्रह्मा ; विष्णु ; महेश आदि देवगण भी संतुष्ट हो जाते हैं।वैशाख मे पीड़ित किसी महापुरुष को शीतल जल पिलाने से दस हजार राजसूय य़ज्ञ का फल प्राप्त होता है।
जो मनुष्य मेष संक्रान्ति के आदि मे जलपूर्ण घट ; सत्तू आदि वस्तुएँ अपने पितरों के निमित्त ब्राहमणों को दान करता है ; वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।भोजन सहित घटदान करने से परम गति की प्राप्ति होती है।अन्नदान मनुष्यों को तत्काल तृप्त करने वाला है।इसलिए इससे बढ़कर कोई दूसरा दान ही नहीं है।माता-पिता तो केवल जन्म के हेतु होते हैं परन्तु जो अन्न देकर पालन करता है ; वही सच्चा पिता है।
व्रत ---
----- वैशाख मास मे व्रत की भी बहुत अधिक महत्ता है।जो व्यक्ति एकभुक्त ( एक बार भोजन ) ; नक्तव्रत ( रात्रि मे भोजन ) या अयाचित व्रत ( बिना माँगे जो मिल जाय ) करता है ; वह सम्पूर्ण अभीष्ट वस्तुओं को सहज ही प्राप्त कर लेता है।
Thursday, 3 March 2016
वैशाख मे दान एवं व्रत
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