Friday, 4 March 2016

वरूथिनी एकादशी व्रत

          वरूथिनी एकादशी व्रत वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी को किया जाता है।
कथा ---
------    प्राचीन काल मे मान्धाता नामक एक तपस्वी राजा थे।एक बार तपस्या करते समय एक भालू उन्हें जंगल की ओर घसीट ले गया और उनका पैर चबाने लगा।राजा ने भगवान विष्णु की प्रार्थना की।भक्त के आर्तनाद को सुनकर भगवान ने चक्र सुदर्शन से भालू को मारकर राजा की रक्षा की।उसके बाद विष्णु जी प्रकट हुए और राजा को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए वरूथिनी एकादशी का व्रत करने को कहा।राजा ने भगवान के निर्देशानुसार व्रत किया ; जिसके प्रभाव से राजा का पैर पूर्ववत् हो गया।
विधि ---
-----      व्रती दशमी को एक बार शुद्ध सात्विक आहार ले।एकादशी को प्रातः स्नानादि कर उपवास पूर्वक भगवान मधुसूदन का विधिवत् पूजन करे।रात्रि जागरण के बाद दूसरे दिन पारणा करे।
माहात्म्य ---
----------    इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को भोग और मोक्ष दोनो की प्राप्ति हो जाती है।मनुष्य निष्पाप होकर परम पद को प्राप्त करता है।

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