Friday, 11 March 2016

दुर्गन्धि-दुर्भाग्य नाशक व्रत

           यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को किया जाता है।
कथा ---
-----    एक बार महारानी विष्णुभक्ति ने जातूकर्ण्य मुनि से किसी ऐसे व्रत के विषय मे जानना चाहा ; जिसे करने से मनुष्य के शरीर की दुर्गन्धि एवं दुर्भाग्य दोनो दूर हो जायँ।उस समय मुनि ने इसी व्रत का निर्देश दिया था।
विधि --
-------       व्रती प्रातः स्नानादि करके भगवान सूर्य नारायण का ध्यान करे।उसके बाद सफेद आक ; लाल कनेर तथा निम्ब वृक्ष की विधिवत् पूजा करे।तत्पश्चात् प्रणाम पूर्वक प्रार्थना करे।
माहात्म्य ---
-----------     इस व्रत को करने से मनुष्य के शरीर की दुर्गन्धि एवं दुर्भाग्य दोनो का विनाश हो जाता है।व्रती परम सौभाग्यशाली बन जाता है।

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