Friday, 11 March 2016

श्रीशिव-पञ्चाक्षर-स्तोत्रम्

              शिव जी के असंख्य स्तोत्रों मे पञ्चाक्षर स्तोत्र का विशेष महत्व है।यह शिव जी के पञ्चाक्षर महामन्त्र " नमः शिवाय " पर आधारित है।इस स्तोत्र मे पाँच श्लोक हैं।प्रत्येक श्लोक नमः शिवाय के एक-एक अक्षर से आरम्भ होता है।छठवाँ श्लोक इस स्तोत्र की महत्ता को अभिव्यक्त करने वाला है।
           यह स्तोत्र अत्यन्त पवित्र ; पुण्यदायक एवं पापनाशक है।श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इसका नित्य पाठ करने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है।अतः प्रत्येक आस्तिक व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ करे और भगवान शिव जी की अनुकम्पा प्राप्त करे।यह स्तोत्र इस प्रकार है --
     नागेन्द्रहाराय  त्रिलोचनाय
            भस्माङ्गरागाय  महेश्वराय।
    नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
           तस्मै ' न ' काराय नमः शिवाय।।1।।
     मन्दाकिनी-सलिल-चन्दनचर्चिताय
           नन्दीश्वरप्रमथनाथ-महेश्वराय।
    मन्दारपुष्प-बहुपुष्प-सुपूजिताय
            तस्मै ' म ' काराय  नमः  शिवाय।।2।।
     शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द-
           सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
     श्रीनीलकण्ठाय  वृषध्वजाय
            तस्मै ' शि ' काराय नमः शिवाय।।3।।
     वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य
          मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
    चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
           तस्मै ' व ' काराय नमः शिवाय।।4।।
    यक्षस्वरूपाय जटाधराय
          पिनाकहस्ताय सनातनाय।
    दिव्याय देवाय दिगम्बराय।
          तस्मै ' य ' काराय नमः शिवाय।।5।।
    पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ।
    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।।6।।

No comments:

Post a Comment