गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को मनाया जाता है।
कथा ---
----- प्राचीन काल मे अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए राजा भगीरथ गंगा जी को उस स्थान पर लिए जा रहे थे ; जहाँ उनके साठ हजार पूर्वज कपिलमुनि के शाप से भस्म हुए थे।मार्ग मे जह्नु ऋषि विशाल यज्ञ कर रहे थे।गंगा जी ने उनके यज्ञस्थल को अपनी धारा से बहा दिया।महर्षि जह्नु ने क्रुद्ध होकर गंगा को पी लिया।बाद मे भगीरथ की प्रार्थना पर अपने दाहिने कान के छिद्र से उन्हें बाहर निकाला।कहीं -कहीं जंघा से गंगा के प्रकट होने की बात कही गयी है।इस प्रकार महर्षि जह्नु के द्वारा प्रकट होने के कारण गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है।यह घटना वैशाख शुक्ल सप्तमी को हुई थी।इसीलिए इस तिथि को गंगासप्तमी कहा जाता है।
विधि --
----- इस दिन गंगा-स्नान एवं गंगा-पूजन करना चाहिए।गंगा की प्रार्थना के लिए गंगा लहरी आदि स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए।
माहात्म्य ---
---------- इस दिन गंगा-स्नान एवं गंगा-पूजन करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।उसे गंगा जी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है।
Sunday, 6 March 2016
गंगा सप्तमी
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