मोहिनी एकादशी व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी को किया जाता है।इसे करने से मोह-जाल नष्ट हो जाता है।इसीलिए इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
कथा --
----- प्राचीन काल मे सरस्वती नदी के तट पर स्थित भद्रावती नगरी मे धनपाल नामक एक पुण्यात्मा वैश्य रहता था।उसके पाँच पुत्र थे -- सुमन ; द्युतिमान् ; मेधावी ; सुकृत और धृष्टबुद्धि।इनमे से धृष्टबुद्धि अपने नाम के अनुरूप ही बहुत दुर्व्यसनी ; व्यभिचारी एवं अपव्ययी था।अतः परिवार वालों ने उसका परित्याग कर दिया।वह दिन-रात दुःख भोगता हुआ इधर-उधर भटकता रहता था।एक दिन वह महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम पर पहुँच गया।उसने महर्षि से अपनी सम्पूर्ण व्यथा-कथा सुनाई।महर्षि को दया आ गयी।उन्होने उसको मोहिनी एकादशी व्रत करने को कहा।धृष्टबुद्धि ने महर्षि के निर्देशानुसार व्रत किया और उसका उद्धार हो गया।
विधि ---
----- इसका विधि-विधान कृष्ण पक्ष की एकादशी के समान ही है।
माहात्म्य --
---------- इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोह-जाल एवं पातक-समूह से मुक्त हो जाता है।उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं।
Tuesday, 8 March 2016
मोहिनी एकादशी व्रत
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment